Latest Newsराज्यशिक्षा

डॉ. बीरबल झा को अंग्रेज़ी साहित्य रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया

प्रख्यात अंग्रेज़ी साहित्यकार, शिक्षाविद और समाजसेवी डॉ. बीरबल झा को आज इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक भव्य समारोह में अंग्रेज़ी साहित्य रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें साहित्य, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता में अभूतपूर्व योगदान के लिए प्रदान किया गया।

पुरस्कार समारोह में रामकृष्ण आश्रम के सचिव स्वामी सर्वलोकानंद महाराज, ब्रिगेडियर संजय अग्रवाल, पूर्व डीजीपी डॉ. आनंद कुमार और मनोवैज्ञानिक डॉ. उमेश शर्मा ने आरोग्य सृजन न्यास की ओर से यह सम्मान प्रदान किया।

अंग्रेज़ी शिक्षा में क्रांति लाने वाले अग्रदूत

भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले डॉ. बीरबल झा ने ‘इंग्लिश फॉर ऑल’ अभियान के माध्यम से लाखों लोगों को सशक्त किया है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें “सेलिब्रेट योर लाइफ” और “स्पोकन इंग्लिश किट” ने विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी समुदायों में अंग्रेज़ी सीखने को सुलभ और व्यावहारिक बनाया है।

पुरस्कार प्राप्त करने के अवसर पर डॉ. झा ने कहा,

“भारत के आम लोगों तक अंग्रेज़ी कौशल पहुंचाकर उनकी शैक्षिक और सामाजिक प्रगति सुनिश्चित करना मेरा लक्ष्य है।”

शिक्षा से सामाजिक बदलाव की पहल

डॉ. झा ने अंग्रेज़ी शिक्षण को सामाजिक जागरूकता से जोड़ते हुए लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा दिया है। उनकी साहित्यिक कृतियाँ भारतीय विरासत का सम्मान करने के साथ-साथ वैश्विक भाषाई एकीकरण को भी प्रोत्साहित करती हैं, जिससे परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन स्थापित होता है।

उनका योगदान न केवल अंग्रेज़ी शिक्षा के लोकतंत्रीकरण में अहम रहा है, बल्कि उन्होंने सामाजिक-आर्थिक बाधाओं को तोड़ते हुए एक समावेशी शिक्षण तंत्र भी विकसित किया है। उनकी पुस्तकें विद्यार्थियों, पेशेवरों और वंचित वर्गों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुई हैं, जो उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए आवश्यक संचार कौशल प्रदान करती हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित शिक्षाविद

स्टार ऑफ एशिया अवार्ड, पर्सन ऑफ द ईयर, ग्रेट पर्सनालिटी ऑफ इंडिया, पंडित मदन मोहन मालवीय अवार्ड और ग्लोबल स्किल्स ट्रेनर अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त कर चुके डॉ. झा ने शिक्षा, सामाजिक न्याय और सामुदायिक विकास के बीच की खाई को पाटने का कार्य किया है।

अंग्रेज़ी शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने भारतीय समाज पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है, जिससे लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।

राजनेताओं पर न लगे आजीवन प्रतिबंध, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से क्यों कही ये बात?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *