World Preeclampsia Day: मां और बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकता है प्रीक्लैम्प्सिया, जानें इससे बचने के उपाय
प्रेग्नेंसी में अक्सर महिलाएं कई समस्याओं का शिकार हो जाती हैं। प्रीक्लैम्प्सिया इसी समस्या में से एक है जो कई बार मां-बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में इसे लेकर जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 22 मई को विश्व प्रीक्लैम्प्सिया डे मनाया जाता है।
World Preeclampsia Day: गर्भावस्था के दौरान एक महिला के जीवन में कई सारे बदलाव होते हैं। इस दौरान महिला को कई सारे शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में महिलाएं अक्सर डायबिटीज, बीपी, तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं का शिकार होती हैं। प्रीक्लैम्प्सिया गर्भावस्था में होने वाली एक ही समस्या है, जिससे कई महिलाएं परेशान रहती हैं।
यह एक हाइपरसेंसिटिव विकार है, जिससे दुनियाभर में कई गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मौत हो जाती है। यह एक विकार है, जो गंभीर होने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली इस समस्या से महिलाओं को बचाने और इसे लेकर जागरुकता बढ़ाने के मकसद से हर साल 22 मई को विश्व प्रीक्लैम्प्सिया डे मनाया जाता है। तो इस मौके पर आज जानेंगे गर्भावस्था के दौरान होने वाली इस जटिलता से कैसे बचें।
क्या है प्रीक्लैम्प्सिया?
प्रीक्लैम्प्सिया की एक गंभीर समस्या है, जिसमें गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है और इस वजह से उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं। यह बेहद खतरनाक स्थिति है, जिसका अगर सही समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे बच्चे और मां दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
प्रीक्लैम्प्सिया के लक्षण क्या है?
आमतौर यह समस्या महिला को गर्भधारण के 20 हफ्ते के बाद होती है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि समय से इसकी पहचान कर इसका उचित इलाज किया जाए, ताकि किसी भी अप्रिय हालात से बचा जा सकता है। आप इन आम लक्षणों से प्रीक्लैम्प्सिया की पहचान कर सकते हैं।
- हाई बीपीयूरीन में प्रोटीन
- तेज सिरदर्द
- छाती में दर्द
- चेहरे और हाथों की सूजन
- गर्भावस्था के बाद मतली
- सांस की तकलीफ
- धुंधली दृष्टि
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द