Bada Ganesh Mandir Ujjain: इस मंदिर में मिलती है गणेश जी की विशाल मूर्ति, खास तरीके से किया गया है निर्माण
Bada Ganesh Mandir Ujjain
भारत में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जिनका इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है।
ऐसा ही एक मंदिर है उज्जैन में स्थित गणेश मंदिर। यहां के स्थानीय लोग इसे बड़ा गणेश मंदिर कहकर पुकारते हैं। इस मंदिर में शहर की सबसे बड़ी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा लगभग 18 फीट तक ऊंची और 10 फीट चौड़ी है। कोई भी मांगलिक कार्य आदि का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश को विशेष रूप से याद किया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं। विश्वप्रसिद्ध उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के पास एक गणेश मंदिर स्थित स्थित है। इस मंदिर का इतिहास भी कुछ कम रौचक नहीं है। आइए जातने हैं इस मंदिर की गणेश मूर्ति से जुड़ी खास बातें।
इस तरह बनी है मूर्ति
गणेश जी की इस भव्य मूर्ति को लेकर कहा जाता है कि यह मूर्ति लगभग 114 वर्षों पूर्व इस मंदिर में स्थापित की गई थी। जानकारी के अनुसार, मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा की स्थापना महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत वागेश पं. नारायणजी व्यास ने करवाई थी। इस मूर्ति को बनाने का ढंग भी अन्य मूर्तियों से अलग है। गणेश जी की इस मूर्ति को बनाने में सीमेंट का नहीं बल्कि इसमें गुड़ और मेथी दानों का प्रयोग किया गया है।
साथ ही इस मूर्ति के निर्माण में ईंट, चूने, बालू और रेत का प्रयोग भी किया गया है। इसके अलावा मूर्ति को बनाने में सभी पवित्र तीर्थ स्थलों का जल मिलाया गया। इसके अलावा सात मोक्षपुरियों मथुरा, द्वारिका, अयोध्या, कांची, उज्जैन, काशी और हरिद्वार से लाई हुई मिट्टी भी मिलाई गई है। यही कारण है कि यह मूर्ति अन्य मूर्तियों से विशेष महत्व रखती है। इस मूर्ति को बनाने में ढाई वर्ष का समय लगा था।
क्या है मंदिर की खासियत
इस मंदिर को देशभर में इतनी ख्याति प्राप्त है कि रक्षाबंधन के पर्व पर देश-विदेश से महिलाएं गणेश जी के लिए राखियां भेजती हैं। इस मंदिर में एक ऐसा अनोखा शिवलिंग है जिसमें मध्य में बाबा महाकाल और आसपास 11 ज्योतिर्लिंग बने हुए हैं। 12 ज्योतिर्लिंग का यह शिवलिंग लगभग 90 वर्षों पुराना माना जाता है। इसके साथ ही मंदिर में लगभग 100 वर्ष पुरानी हनुमान जी की अष्टधातु से बनी पंचमुखी प्रतिमा भी स्थापित है। इस मूर्ति को लेकर कहा जाता है कि एक तांत्रिक द्वारा इस मंदिर को दिया गया था।
इस प्रतिमा को देते समय तांत्रिक ने कहा था कि इस प्रतिमा को ऐसे स्थान पर विराजित करना जहां पर इस प्रतिमा को श्रद्धालुओं द्वारा छुआ ना जा सके। इसलिए इस मूर्ति के चारों तरफ जालियां लगाई गई थी। इसके साथ ही मंदिर में कुछ ऐसी प्रतिमा भी विराजमान है जो किसी और मंदिर मे कम ही देखने को मिलती हैं। इस मंदिर में पंचमुखी हनुमान की सिंदूर वाली प्रतिमा, कालिया मृदन करते भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा और माता यशोदा की गोद में श्रीकृष्ण की प्रतिमा भी विराजमान है।