आइजॉलपड़ोसी देश म्यांमार में हुए तख्तापलट की बेचैनी मिजोरम में भी साफ दिख रही है। लोग म्यांमार में रहने वाले अपने करीबियों को लेकर परेशान हैं और उनका दर्द मिजोरम में रह रहे लोगों को भी कचोट रहा है। केंद्र सरकार ने भले ही म्यांमार से अवैध तरीके से भारत आने वालों पर रोक लगाने को कहा है लेकिन मिजोरम में लोग इसे विदेश नीति से ज्यादा मानवीय पहलू से देख रहे हैं। उनके लिए म्यांमार में डर के साए में जी रहे अपनों को सुरक्षा और राहत देना प्राथमिकता है। लोग खुलकर बात करने में झिझक रहे हैं लेकिन उनकी बेचैनी और अपनों को लेकर चिंता बातचीत में साफ दिख जा रही है।
मिजोरम सरकार और केंद्र की अलग रायम्यांमार से सैकडों लोग बॉर्डर पार कर मिजोरम आए हैं। इनमें आम लोगों के अलावा म्यांमार के पुलिसकर्मी भी हैं। म्यांमार में मिलिट्री शासन का वहां लोग विरोध कर रहे हैं और पुलिसवाले भी लोगों के साथ हैं। कई लोग शरण लेने के लिए मिजोरम आ गए हैं। मिजोरम की 510 किलोमीटर की एरिया म्यांमार से लगी है और यह खुला बॉर्डर है यानी कोई तारबंदी नहीं हैं। यहां एफएमआर (फ्री मूवमेंट रिजीम) भी है। यानी यहां बॉर्डर के 16 किलोमीटर इलाके में रहने वाले लोग दोनों तरफ इस इलाके में आवाजाही कर सकते हैं। म्यांमार में तख्तापलट के बाद कई लोग बॉर्डर पार कर मिजोरम में आए हैं।
मिजोरम सरकार कर रही मददमिजोरम सरकार मानवीय आधार पर उन्हें मदद कर रही है। मिजोरम सरकार ने 27 फरवरी को एसओपी ( स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) भी जारी किया था जिसमें कहा गया था कि जो लोग म्यांमार से आ रहे हैं उनकी पहचान हो और वह कम्युनिटी हॉल में रहेंगे, उनके रहने, खाने और बुनियादी जरूरतों का ख्याल रखा जाएगा। 6 मार्च को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इस ऑर्डर को वापस लेने को कहा और फिर असम राइफल्स, बीएसएफ और म्यांमार से लगते सभी राज्यों को निर्देश जारी किए कि म्यांमार से अवैध तरीके से आने वाले किसी को भी न आने दें और जरूरी कदम उठाएं।
निर्देश और लोगों की भावनाओं के बीच की दुविधाम्यांमार बॉर्डर पर बॉर्डर गार्डिंग फोर्स असम राइफल्स है। सूत्रों के मुताबिक शुरू में असम राइफल्स भी ज्यादा रोकटोक नहीं कर रही थी। लेकिन केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वह बैलेंस बनाने की कोशिश कर रहे हैं। असम राइफल्स को यहां मिजोरम के लोगों के बीच काम करना है और लोगों की भावनाएं म्यांमार से आ रहे लोगों के साथ हैं और वे चाहते हैं कि उन्होंने मानवीय आधार पर शरण दी जाए। गृह मंत्रालय ने म्यांमार से अवैध तरीके से म्यांमार से आ रहे लोगों को रोकने के निर्देश दिए हैं।
जितने भी लोग अंदर आए हैं सबकी पूरी जानकारीसूत्रों के मुताबिक विवाद न हो इसलिए असम राइफल्स म्यांमार से आए लोगों के डायरेक्टर कॉन्टेक्ट में नहीं आ रही है। असम राइफल्स के मिजोरम में लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं और एक दूसरे पर भरोसा है इसलिए लोग भी समझ रहे हैं कि असम राइफल्स को अपनी ड्यूटी भी करनी है। मिजोरम में असम राइफल्स के सेक्टर कमांडर ब्रिगेडियर दिग्विजय सिंह ने एनबीटी से कहा कि हमारे पास साफ निर्देश हैं कि अवैध तरीके से आने वालों को घुसने नहीं देना है। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी (म्यांमार से) इस एरिया में आया है तो वे एफएमआर (फ्री मूवमेंट रिजीम) वाले ही हैं। उन्हें वैसे भी 14 दिन रहने की इजाज़त होती है। जितने भी लोग अंदर आए हैं सबकी पूरी जानकारी है।
सीएम ने भी की पीएम से अपीलमिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मसले पर हस्तक्षेप करने को कहा है। पत्र में सीएम ने लिखा है कि म्यांमार में मिलिट्री शासन में लोग मारे जा रहे हैं और उन पर अत्याचार हो रहा है। डरे हुए लोग सहारे की आस में मिजोरम आ रहे हैं। हमारे उनसे आजादी से पहले से ही मजबूत संबंध रहे हैं और इस मुश्किल वक्त में हम उनसे मुंह नहीं मोड़ सकते। सीएम ने लिखा कि हम विदेश नीति को समझते हैं लेकिन इस मानवीय संकट को इग्नोर नहीं कर सकते। सीएम ने पीएम से मांग की है कि म्यांमार से आए राजनीति शरणार्थियों को शरण दें।