नई दिल्ली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने पर भारत की शिक्षा व्यवस्था कब्जाने का आरोप लगाया है। राहुल ने आरएसएस के स्कूलों की तुलना पाकिस्तान में जिहादी पाठ पढ़ाने वाले मदरसों से की। कांग्रेस सांसद ने अर्थशास्त्री कौशिक बसु के साथ वीडियो चैट में यह बात कही। राहुल का संघ के स्कूलों की तुलना पाकिस्तानी मदरसों से करना बीजेपी को बिल्कुल रास नहीं आया। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने तो कहा कि कांग्रेस को चाहिए कि वो राहुल को ‘पॉलिटिकल प्ले स्कूल’ भेज दे ताकि वह देश के राजनीतिक हालात के बारे में जान सकें। सोशल मीडिया पर भी राहुल के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोगों ने कहा कि आरएसएस को राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराना चाहिए।
संघ के स्कूलों और पाकिस्तानी मरदसों में क्या फर्क? बता रहे लोगराहुल गांधी के इस बयान से ट्विटर यूजर्स का एक हिस्सा खासा नाराज है। एक ने लिखा कि “राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि आरएसएस के स्कूलों को फंड कैसे मिलता है? निश्चित तौर पर सरकारी फंड तो नहीं मिलता जैसे आपने राजीव गांधी फाउंडेशन और इंदिरा गांधी फाउंडेशन को सरकारी फंड दिलाए।” कई यूजर्स ने कहा कि आरएसएस को इस बयान के लिए राहुल गांधी पर केस कर देना चाहिए। भुवी ने RSS को टैग करते हुए लिखा, “झूठे बयान देने और RSS के स्कूलों को पाकिस्तानी मदरसों जैसा बताने के लिए राहुल गांधी पर एफआईआर दर्ज कराइए। पाकिस्तानी मदरसों में केवल नफरत और आतंकी पैदा होते हैं।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “राहुल गांधी की कांग्रेस केरल में मुस्लिम लीग और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम चरमपंथियों के साथ चुनाव लड़ रही है और वो आरएसएस पर सवाल उठा रहे हैं? उन्हें आरएसएस ऐंटीडोट की जरूरत है!”
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, “कांग्रेस के लोगों को बिना मांगी सलाह दूंगा कि ‘पप्पू जी’ को पॉलिटिकल प्ले स्कूल में भेज देना चाहिए। वहां देश की हकीकत को जानें। अगर पॉलिटिकल प्ले स्कूल में जगह न मिलें तो सरस्वती शिशु मंदिर में चले जाएं तो उनको समझ आ जाएगा कि वहां क्या होता है।”
RSS के स्कूलों में क्या होता है?संघ सीधे तौर पर कोई स्कूल नहीं चलाता। उसके स्वयंसेवकों की संस्थाओं- विद्या भारती और समर्थ शिक्षा समिति के दायरे में कम से कम 20,000 स्कूल चलते हैं। ये स्कूल मिलकर देश के सबसे बड़े निजी स्कूलों की एक चेन बनाते हैं। पहले सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना 1952 में हुई थी। विद्या भारती की वेबसाइट के अनुसार, उसका मकसद ऐसा ‘नैशनल एजुकेशन सिस्टम तैयार करना है जिससे युवा पुरुषों और महिलाओं की ऐसी पीढ़ी बन सके जो हिंदुत्व के प्रति समर्पित हो और देशभक्ति से ओत-प्रोत हो। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित हो और जीवन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो।”
RSS के स्कूलों में हिंदू धर्म से जुड़ी शिक्षाओं पर विशेष जोर होता है। व्यायाम, खेलकूद आदि का भी इंतजाम होता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली प्रफेसर नंदिनी सुंदर अपने रिसर्च पेपर ‘Teaching to Hate: RSS’ Pedagogical Programme’ में दावा करती हैं कि संघ समर्थित इन स्कूलों में मुस्लिमों से नफरत के बीज डाले जाते हैं।
पाकिस्तानी मदरसों में क्या होता है?पाकिस्तान के मदरसों में आतंक का पाठ पढ़ाया जाता है, यह बात दुनिया के सामने सितंबर 2001 के हमले के बाद आई। कई रिसर्च पेपर यह दावा करते हैं कि अल-कायदा, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों का पाकिस्तानी मदरसों से गहरा जुड़ाव है। इन मदरसों में इस्लामिक चरमपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता है। इन्हें कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों का ‘ब्रीडिंग ग्राउंड’ तक कहा गया। पाकिस्तान में सरकारें भी ऐसे मदरसों को सपोर्ट करती आई हैं। 2019 में पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन प्रवक्ता ने माना था कि उनके यहां मदरसों में आतंकवाद सिखाया जाता है।
बलूच वॉइस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनीर मेंगल के हवाले से पिछले साल IANS ने एक रिपोर्ट छापी थी। उनके मुताबिक, पाकिस्ताना में पढ़ाया जाता है कि हिंदू काफिर हैं, यहूदी इस्लाम के दुश्मन हैं। बच्चों को संदेश दिया जाता है कि हमें बंदूक और बम का सम्मान करना होगा, क्योंकि हमें इनका इस्तेमाल हिंदू माताओं को मारने के लिए करना है अन्यथा वे हिंदू बच्चे को जन्म देंगी।